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महत्तम समापवर्तक और लघुत्तम समापवर्त्य (Greatest coefficient and least coefficient)
गुणनखण्ड और गुणज
यदि संख्या x, किसी अन्य संख्या y को पूर्णतः विभाजित करती है, तो x, y का एक गुणनखण्ड है और y. x का गुणज है।
जैसे – 15 = 3×5
यहाँ, 3, 15 का एक गुणनखण्ड है और 15, 3 का गुणज है।
इसी प्रकार, 5, 15 का एक गुणनखण्ड है और 15, 5 का गुणज है।
उभयनिष्ठ गुणनखण्ड
दो या दो से अधिक संख्याओं का उभयनिष्ठ गुणनखण्ड वह संख्या होती है, जो उनमें से प्रत्येक को पूर्णतः विभाजित करती है।
जैसे – 12 और 18 के उभयनिष्ठ गुणनखण्ड
12 के गुणनखण्ड = 1, 2, 3, 4, 6, 12
और 18 के गुणनखण्ड-1, 2, 3, 6, 9, 18
∴ 12 और 18 के उभयनिष्ठ गुणनखण्ड 1, 2, 3 और 6 हैं।
नोट – संख्या 1, सभी वास्तविक संख्याओं का उभयनिष्ठ गुणनखण्ड है।
महत्तम समापवर्तक (म.स.)
दो या दो से अधिक संख्याओं का महत्तम समापवर्तक (म. स.) वह सबसे बड़ी संख्या है, जो दी गई संख्याओं में से प्रत्येक संख्या को पूर्णतः विभाजित करती है।
नोट –
दो सह-अभाज्य संख्याओं का म. स. सदैव 1 होता है।
दो या दो से अधिक अभाज्य संख्याओं का म.स. सदैव 1 होता है।
उभयनिष्ठ गुणज
दो या दो से अधिक संख्याओं का उभयनिष्ठ गुणज वह संख्या होती है, जो उनमें से प्रत्येक से पूर्णतः विभाज्य होती है।
जैसे- 3 और 5 के उभयनिष्ठ गुणज
3 के गुणज = 3, 6, 9, 12, 15, 18, 21, 24, 27, 30. ….
और 5 के गुणज = 5, 10, 15, 20, 25, 30. ….
∴ 3 और 5 के उभयनिष्ठ गुणज 15, 30, …
लघुत्तम समापवर्त्य (ल.स.)
दो या दो से अधिक संख्याओं का लघुत्तम समापवर्त्य (ल.स.) वह संख्या होती है, जो दी गई संख्याओं में प्रत्येक का सबसे छोटा उभयनिष्ठ गुणज है।
नोट – दी गई संख्याओं का लघुत्तम समापवत्र्य सदैव उनके महत्तम समापवर्तक से विभाज्य होता है।
दो या दो से अधिक अभाज्य संख्याओं का ल.स., उन अभाज्य संख्याओं का गुणनफल होता है।
प्रकार 1 संख्याओं का म.स. ज्ञात करना
1. भाज्य गुणनखण्ड विधि
अभाज्य गुणनखण्ड विधि द्वारा म.स. ज्ञात करने के लिए, निम्नलिखित चाणं का उपयोग करते हैं।
चरण 1 : दी गई प्रत्येक संख्या को उसके अभाज्य गुणनखण्डों के गुणनफल के रूप में व्यक्त करते हैं।
चरण 2 : सभी संख्याओं के उभयनिष्ठ गुणनखण्ड का चयन करते हैं।
चरण 3 : सभी संख्याओं के उभयनिष्ठ गुणनखण्डों का गुणनफल, दी एं संख्याओं के महत्तम समापवर्तक है।
जैसे- 24, 40 और 48 का म.स.
अभाज्य गुणनखण्ड 24 =2 × 2 × 2 × 3, 40 = 2 × 2 × 2 × 5
और 48 = 2 × 2 × 2 × 2 × 3
अभीष्ट म.स. (या 24, 40 और 48 का म.स.) = 2 × 2 × 2 = 8
2. विभाजन विधि
विभाजन विधि द्वारा म.स. ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित चरणों का उपयोग करते हैं।
चरण 1 : दी गई दो संख्याओं का म.स. ज्ञात करने के लिए, सबसे पहले बड़े संख्या को छोटी संख्या से विभाजित करते हैं।
चरण 2 : यदि शेषफल शून्य है, तब भाजक ही परिणामी म.स. है। अन्यथ शेष को नए भाजक के रूप में लेते हैं और भाजक को नए भाज्य के रूप में लेते हैं तथा फिर से विभाजित करते हैं।
चरण 3 : चरण 2 को तब तक दोहराएँ, जब तक कि शेषफल शून्य प्राप्त न हो जाए। अन्तिम भाजक जिसके लिए शेषफल शून्य है, अभीष्ट म.स. है। यदि हमें दो से अधिक संख्याओं का म.स. ज्ञात करना है, तो पहले उनमें से सबसे छोटी दो संख्याओं का म.स. ज्ञात करते हैं और फिर दो संख्याओं का म.स. और तीसरी संख्या का म.स. ज्ञात करते हैं। इनका परिणामी म.स.. संख्याओं का अभीष्ट म.स. होता है।
जैसे – 36, 48 और 98 का म.स.
पहले, 36 और 48 का म.स.
36 और 48 का म.स. = 12
अब, 12 और 98 का म.स.
∴ 36, 48 और 98 का म.स. = 2
प्रकार 2 संख्याओं का ल.स. ज्ञात करना
1. अभाज्य गुणनखण्ड विधि
अभाज्य गुणनखण्ड विधि द्वारा ल.स. ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित चरणों का उपयोग करते हैं
चरण 1 : दी गई प्रत्येक संख्या को उसके अभाज्य गुणनखण्डों के गुणनफल के रूप में व्यक्त करते हैं।
चरण 2 : प्रत्येक गुणनखण्ड को उसकी उच्चतम घातों के रूप में लिखते हैं, जो दी गई संख्याओं में होती है।
चरण 3 : इन गुणनखण्डों का गुणनफल, दी गई संख्याओं का लघुत्तम समापावत्यं होता है।
जैसे – 280, 420 और 70 का ल.स.
अभाज्य गुणनखण्ड,
280 = 2 × 2 × 2 × 5 × 7 = 23 × 5 × 7
420 = 2 × 2 × 3 × 5 × 7 = 22 × 3 × 5 × 7
70 = 2 x 5 x 7
∴ 280, 420 और 70 का ल.स. 23 × 7 × 5 × 3 = 840
2. विभाजन विधि
विभाजन विधि द्वारा ल.स. ज्ञात करने के लिए निम्न चरणों का उपयोग करते है।
चरण 1 : दी गई संख्याओं को अल्प-विराम से अलग करते हुए एक पंक्ति में लिखते हैं।
चरण 2 : उन्हें एक अभाज्य संख्या से विभाजित करते हैं, जो दी गई संख्याओं में से कम-से-कम किसी एक को पूर्णतः विभाजित करती है। भागफल और अविभाजित संख्याओं को पहली पंक्ति के नीचे एक अन्य पंक्ति में लिख देते हैं।
चरण 3 : चरण 2 को तब तक दोहराते हैं, जब तक संख्याओं की एक पंक्ति में सभी संख्याओं के स्थान पर 1 न आ जाए।
चरण 4 : सभी भाजकों का गुणनफल और अन्तिम पंक्ति में संख्याएँ, अभीष्ट लघुत्तम समापवर्थ (ल.स.) है।
जैसे- 40, 25, 60 और 30 का ल. स.
∴ 40, 25, 60 और 30 का ल.स. = 2
× 2 × 2 × 3 × 5 × 5 = 600
प्रकार 3 भिन्नों का म.स. और ल.स.
भिन्नों के म.स. और ल.स. ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित सूत्रों का उपयोग किया जाता है।
भिन्नों के म.स. = अंशों का म.स. / हरों का ल.स.
भिन्नों के ल.स. = अंशों का ल.स. / हरों का स.स.
नोट – दशमलव संख्याओं के लिए पहले दशमलव संख्या को भिन्न (सबसे छोटा भिन्न रूप) में परिवर्तित करते है और फिर उपरोक्त सूत्रों का उपयोग करके म.स. तथा ल.स. प्राप्त किया जा सकता है।
प्रकार 4 : संख्याओं तथा उनके म.स. और ल.स. के बीच सम्बन्ध
दो संख्याओं के म.स. और ल.स. तथा उनके गुणनफाल के बीच सम्बन्ध निम्न सूत्र से ज्ञात करते है।
पहली संख्या × दूसरी संख्या = म.स. × ल.स.
प्रकार 5 : म.स. और ल.स. के अनुप्रयोग
ल.स. और म.स. को अवधारणाओं का प्रयोग घण्टी के बजने की संख्याओं, भावकों के वृत्ताकार पथ में दौड़ने, पात्र की अधिकतम क्षमता, विभिन्न अन्तरालों पर चमकने वाली ट्रैफिक लाइट आदि पर आधारित प्रश्नों को हल करने के लिए किया जाता है।
म.स. और ल.स. से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण सूत्र/नियम
- वह बड़ी-से-बड़ी संख्या, जो संख्याओं a, b और c को विभाजित करने पर क्रमशः x, y और z शेषफल देती हैं, [(x-a), (y-b), (z-c)] म.स. द्वारा ज्ञात की जाती है।
- वह बड़ी-से-बड़ी संख्या, जो संख्याओं x, y, z …. को विभाजित करती है और प्रत्येक मामले में समान शेषफल देती है। (|x-yl,ly-zl,|z-x|…) के म.स. द्वारा जात की जाती है।
- वह न्यूनतम संख्या, जिसे x. y और z से विभाजित करने पर प्रत्येक स्थिति में समान शेषफल ‘k’ बचता है. [(x, y, z) के ल.स. + k] द्वारा ज्ञात की जाती है।
- वह छोटी-से-छोटी संख्या, जिसे x, y और z से विभाजित करने पर क्रमशः a, b और c शेष बचता है, [(x, y, z) के ल.स. – k] द्वारा जात की जाती है। जहाँ, k = (x – a) = (y -b) = (z – c)
- बड़ी-से-बड़ी n-अंकीय संख्या, जिसे x, y और z से विभाजित करने पर, (i) कोई शेषफल नहीं बचता है, तो अभीष्ट संख्या = [बड़ी-से-बड़ी n-अंकीय संख्या – R] (ii) शेषफल k बचता है, तो अभीष्ट संख्या = बड़ी-से-बड़ी n-अंकीय संख्या – R] +K जहां, R प्राप्त शेषफल है, जब बड़ी से बड़ी n-अंकीय संख्या को x y और z के ल.स. से विभाजित किया जाता है।
- छोटी-से-छोटी n-अंकीय संख्या, जिसे x, y और z से विभाजित करने पर, (i) कोई शेषफल नहीं बचता है, तो अभीष्ट संख्या = [छोटी-से-छोटी-अंकीय संख्या + (L – R)] (ii) शेषफल K बचता है, तो अभीष्ट संख्या = [(छोटी-से-छोटी n-अंकीय संख्या (L – R) + K] जहां, R शेषफल है, छोटी-से-छोटी जब n-अंकीय संख्या को x, y, z के लघुतम समापवर्त्य से विभाजित किया जाता है और L; x, y, z का ल.स. है।
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