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घातांक और करणी (Exponents and Radicals)
घातांक
यदि किसी वास्तविक संख्या ‘a’ को स्वयं से m बार गुणा किया जाए, तब इस गुणनफल को ‘am‘ लिखा जाता है और इसे a की घात m कहा जाता है। यहाँ, a आधार है और m घात है।
यहाँ, 2 आधार है और 4 घात है।
जैसे – 2 × 2 × 2 × 2 = 24
यहाँ, 2 आधार है और 4 घात है।
करणी
माना एक गैर-ऋणात्मक परिमेय संख्या है और एक धनात्मक पूर्णाक है।
अब, यदि a√m या m√a एक अपरिमेय संख्या है, तो m√a को घात m की करणी कहा जाता है।
चिह्न ‘ √ ’ को करणी चिह्न कहा जाता है, जबकि m और a को क्रमश: करणी या घात या कोटि और करणीगत कहा जाता है।
करणी के प्रकार
करणी निम्नलिखित चार प्रकार की होती हैं
- शुद्ध करणी वे करणी जिनमें तर्कसंगत गुणनखण्ड के रूप में केवल 1 परिमेय गुणनखण्ड होता है, शुद्ध करणी कहलाती है। जैसे √3, 3√7 आदि।
- मिश्रित करणी जिन करणी में 1 के अतिरिक्त कोई तर्कसंगत गुणनखण्ड होता है, उन्हें मिश्रित करणी कहा जाता है। जैसे 5√3, ½ 3√5, 2 4√17 आदि।
- समान या सजातीय करणी जिन करणों में समान करणीगत और समान घात होती हैं, उन्हें समान/सजातीय करणी कहा जाता है। जैसे- √6 और 5√6 समान करणी हैं।
- असमान या विजातीय करणी जिन करणी में अलग-अलग करणीगत होते हैं, उन्हें असमान/विजातीय करणी कहा जाता है। जैसे-7√2 और 13√3 असमान करणी है।
प्रकार 1 घातांकों के नियमों पर आधारित प्रश्न
घातांक के महत्त्वपूर्ण नियम
माना a और b दो वास्तविक संख्याएँ है और m और n दो धनात्मक पूर्णांक है
- Am × an = am+n
- Am / an = am-n
- (am)n = amn
- A-m = 1/am
- (ab)m = ambm
- (a/b)m = am/bm
- A0=1
नोट यदि am = an है, तो m = n और यदि am = bn तो a = b अर्थात् यदि आधार समान है, तो पातें समान होंगी और यदि यपाते समान है, तो आधार समान होगे।
प्रकार 2 करणियों पर आधारित प्रश्न
करणी के कुछ महत्त्वपूर्ण नियम
माना a और b दो परिमेय संख्याएँ हैं m और n और दो धनात्मक पूर्णांक है
- (n√a)n = a
- m√ab = m√a.m√b
- m√a/b = m√a / n√b
- (m√a)n = m√an = an/m
- m√a n√a = mn√a
करणियों पर संक्रियाएँ
1. करणियों को जोड़ना और घटाना
दो या दो से अधिक करणी को केवल तभी जोड़ा या घटाया जा सकता है, यदि चे समान सजातीय करणी हों। यदि मिश्रित करणी दी गई है, तो पहले उन्हें समान करणी में बदलते है (यदि सम्भव हो तो) फिर उन्हें जोड़ते या घटाते हैं।
जैसे – 2√5 + 3√5 + 5√5
6√3 – 3√3 = 3√3
2. करणियों का गुणन और विभाजन
दो या दो से अधिक करणियों की गुणा या विभाजन किया जा सकता है, यदि वे समान घात की हो। यदि करणी समान घात की नहीं है, तो पहले उनकी घातों का ल.स. लेकर उन्हें समान घात की करणियों में परिवर्तित करते हैं और फिर उनकी गुष्णा या भाग करते हैं।
जैसे – (2√5)(4√5) = 8 × 5 = 40
4√3 / 2√3 = 2
3. करणियों की तुलना
जब घात समान हों करणियों की तुलना में, यदि करणियाँ समान क्रम की त हों, तो पहले उनकी मूल घातों का ल.स. लेकर उनका क्रम समान करते हैं तथा फिर उनकी तुलना करते हैं।
जैसे – 3√4, 7√3, => (4)3, (3)7
3 और 7 का ल.स. लेने पर,
(4)1/3 = (4)21 , (3)7 , = (3)3/21
21√(4)7 , 21√(3)3
अत: 21√(4)7 अर्थात 3√4 दी गई करणियों में सबसे बड़ी करणी है।
4. करणियों का परिमेयीकरण
एक करणी से, एक परिमेय संख्या प्राप्त करने की विधि, किसी अन्य करणी से गुणा करके करणी का परिमेयीकरण कहलाती है। परिमेयीकरण के लिए अंश और हर में हर के संयुग्मी से गुणा करते हैं।
जैसे- 1/ (√3 – 2) = 1 / (√3 -2) × (√3 + 2) / (√3 + 2) = (√3 + 2) / (√3)2 – (2)2
= (√3 + 2) / (3 – 4) = (√3 + 2)
नोट a + √b का संयुग्मी a और √b का संयुग्मी a + √b होता है।
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